Life Journey of Avinash Tripathi: The Most Popular Short Filmmaker of India
अंधेरे में मंजिलें नहीं मिलतीं. इंसानों को आगे बढ़ाने के लिए बड़े सपनों की जरूरत होती है. यही विचार युवा फिल्मकार अविनाश त्रिपाठी को परिभाषित करता है. उन्होंने केवल सिनेमा की दुनिया को समझने का सपना नहीं देखा. उन्होंने अपनी ऊर्जा और प्रतिबद्धता के साथ उस सपने को हकीकत में बदलकर दिखाया. अपनी बनाई 750 शॉर्ट फिल्मों के जरिए उन्होंने न केवल एक अनोखी पहचान बनाई, बल्कि जयपुर से लेकर अमेरिकन फिल्म फेस्टिवल तक उल्लेखनीय प्रशंसा प्राप्त की. कई पुरस्कार उनके नाम हुए और उन्हें देश और विदेश में व्यापक पहचान मिली.
फिल्में बनाना उनका पैशन
उर्दू शायरी से जुड़ाव और लखनवी अंदाज उनके व्यक्तित्व को खास बनाता है. इसके बावजूद, अविनाश त्रिपाठी ने डॉक्यू फिक्शन के माध्यम से एक अलग पहचान स्थापित की. शॉलीवुड में उनकी सक्रियता लगातार बढ़ी है. उन्होंने इंटरनेशनल टेररिज्म पर आधारित फिल्म Ab Bus और एंटी टोबैको मुद्दे पर No Smoking जैसी फिल्मों से खूब सराहना हासिल की. इसके अलावा वे टूरिज्म, वाइल्ड लाइफ और उर्दू शायरी पर डॉक्यूमेंट्री कार्यों में भी निरंतर सक्रिय रहे हैं.
बॉलीवुड सेलिब्रिटी के साथ सहयोग
Avinash Tripathi Biggest Short Filmmaker ने तनूजा चंद्रा, अमोल पालेकर और सुधीर मिश्रा जैसे दिग्गज फिल्मकारों के साथ कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया. वे डीडी उर्दू के लिए गजल की विकास यात्रा पर बनी श्रृंखला एहसास ए तरन्नुम के भी निर्माता और निर्देशक रहे. उनकी कविताओं की किताब भी जल्द प्रकाशित होने जा रही है. वर्तमान में वे अमिटी यूनिवर्सिटी में मीडिया और फिल्म विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं.
युवाओं को दिशा देना उनका उद्देश्य
अविनाश का मानना है कि उनकी यात्रा की शुरुआत से ही लक्ष्य स्पष्ट था. वे हमेशा युवा पीढ़ी को दिशा देने पर केंद्रित रहे हैं. इप्टा के साथ काम करते हुए उन्होंने नाटक और सामाजिक मुद्दों को गहराई से समझा और उसी के माध्यम से संवाद कायम किया. वह मानते हैं कि थिएटर दर्शकों के साथ विचार साझा करने का सबसे प्रभावी माध्यम है. वे चाहते हैं कि सरकार थिएटर और शॉर्ट फिल्मों को अधिक संरक्षण दे और दर्शक भी इस कला को प्रोत्साहित करें.
शॉर्ट फिल्मों को चाहिए अधिक मंच
ETV के लिए टॉक शो दो टूक का निर्देशन कर चुके अविनाश का कहना है कि समय आ गया है जब युवाओं को शॉर्ट फिल्मों के क्षेत्र में प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. उनका मानना है कि यदि युवा अपनी रचनात्मकता का उपयोग करें तो सामाजिक समस्याएं नई दृष्टि से सामने आ सकती हैं. आज तकनीक हर हाथ में है और मोबाइल फोन एक शक्तिशाली माध्यम बन चुका है. अविनाश ने कई युवाओं को इस दिशा में मार्गदर्शन दिया और उनमें से कई आज सफल डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर बन चुके हैं, जिनकी फिल्में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराही जा रही हैं.
जयपुर में फिल्म फेस्टिवल्स की जरूरत पर बात करते हुए वे कहते हैं कि इससे राजस्थान में सिनेमा का विकास होगा और नए प्रतिभाशाली कलाकारों को मंच मिलेगा. बॉलीवुड की बड़ी हस्तियों की भागीदारी से वातावरण और ज्यादा सशक्त होगा.